Tuesday 8 November 2016

कविता

,-मैं भारत का वोटर हूँ,
मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिये

-बिजली मैं बचाऊँगा नहीं,
बिल मुझे कम चाहिये,

-पेड़ मैं लगाऊँगा नहीं,
मौसम मुझको नम चाहिये,

-शिकायत मैं करूँगा न हीं,
कार्रवाई तुरंत चाहिये

-बिना लिए कुछ काम न करूँ,
भ्रष्टाचार का अंत चाहिये

-पढ़ने को मेहनत न बाबा,
नौकरी लालीपाॅप चाहिये

-घर-बाहर कूड़ा फेकूं,
शहर मुझे साफ चाहिये

-काम करूँ न धेले भर का,
वेतन लल्लनटाॅप चाहिये

-एक नेता कुछ बोल गया सो,
मुफ्त में पंद्रह लाख चाहिये

-लाचारों वाले लाभ उठायें
फिर भी ऊँची साख चाहिये

-लोन मिले बिल्कुल सस्ता,
बचत पर ब्याज बढ़ा चाहिये

-धर्म के नाम रेवडियां खाएँ
पर देश धर्मनिरपेक्ष चाहिये

-जाती के नाम पर वोट दे
अपराध मुक्त राज्य चाहिए

-मैं भारत का वोटर हूँ
मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिये।'

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