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Thursday, 7 December 2017

संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) के लिये स्कीम


संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) के लिये स्कीम 




स्वयं सहायता समूहों और बैंकों की लिंकेज से, निर्धनों में सबसे निर्धन की औपचारिक बैंकिंग सैक्टर तक पहुंच बनाने में बहुत सफलता मिली है. लघु/सीमांत/पट्टेदार किसानों, मौखिक जोतदारों और बटाईदारों  तथा गैर कृषि कार्यों में संलग्न उद्यमियों के लिये प्रभावी क्रेडिट उत्पाद विकसित करने के लिये संयुक्त देयता समूह की स्कीम आरंभ की गयी है. इस स्कीम की मुख्य बातें इस प्रकार हैं :
स्कीम का उद्देश्य
  • किसानों खासकर छोटे, सीमांत किसानों, पट्टेदारों, मौखिक किरायेदारों,बटाईदारों/कृषि कार्य करने वाले व्यक्तियों को क्रेडिट का प्रवाह बढ़ाना.
  • जेलजी व्यवस्था से संपार्श्विक मुक्त ऋण प्रदान करना.
  • बैंकों और उधारकर्ताओं के मध्य आपसी विश्वास बनाना.
  • समूह अप्रोच, क्लस्टर अप्रोच, समान शिक्षा व ऋण अनुशासन  से बैंकों के ऋण पोर्टफोलियो की जोखिम न्यूनतम करना.
  • कृषि उत्पादन में वृद्धि, जीवनयापन के साधन बढ़ाने में सहयोगी बनकर समाज के कमजोर वर्ग को खाद्य सुरक्षा  प्रदान करना.
संयुक्त देयता समूह (जेएलजी)  क्या है ?
  • संयुक्त देयता समूह 4 से 6 व्यक्तियों का एक अनौपचारिक समूह है जो अकेले या समूह व्यवस्था के माध्यम से आपसी गारंटी देकर बैंक से ऋण लेने के लिये बनाया जाता है.
  • इस समूह के सदस्य एक ही प्रकार के आर्थिक कार्यकलाप कृषि/संबद्ध/गैर कृषि मेंकार्यरत होते हैं.
  • समूह के सदस्य बैंक को संयुक्त वचन देते हैं जिसके आदार पर उनको ऋण मिलता है.
  •  संयुक्त देयता समूह का प्रबंधन बहुत सरल है जिसमें बहुत मामूली या शूय खर्च होता है.
  • संयुक्त देयता समूह के सदस्य अपो कामकाज और सामाजिक संबंधों में एक दूसरे की सहायता करते हैं.
संयुक्त देयता समूह (जेएलजी)  कौन बना सकता है ?
  • कारोबार सहायक, गैर सकारी संगठन(एनजीओ),किसान क्लब, किसान एसोसिएशन, पंचायत राज संस्थाएं, कृषि विकास केंद्र, शासकीय कृषि विश्वविद्यालय, कृषि प्रौद्यौगिकी प्रबंधन एजेंसी, बैंक की शाखाएं, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पीएसी) अन्य सहकारी संस्थाएं, सरकारी विभाग, व्यक्ति, इनपुट विक्रेता, सूक्ष्म वित्त संस्थाएं (एमएफआई)/एमएफओ आदि.  
संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) सदस्यों के चयन के मानदंड :
  • भूमि का स्वामित्व न रखने वाले पट्टा किसानों और छोटे किसानों  को शामिल कर  संयुक्त देयता समूह बनाया जा सकता है.
  • समूह में एकरुपता आपसी सम्मान और विश्वास के लिये  इसके सदस्य एक जैसी सामाजिक आर्थिक हैसियत, पृष्ठभूमि और वातावरण  के होने चाहिये जो खेती करते हों या उससे संबंधित काम  और जो जेएलजी बनाने के लिये सहमत हो.
  • इसके सदस्य शाका के परिचालन क्षेत्र में कम स म 1 साल से कृषि कार्य में संलग्न हों.
  • समूह को कोई भी सदस्य किसी औपचारिक वित्तीय संस्था का चूककर्ता नहीं होना चाहिये.
  • समूह में  परिवार का  से अधिक सदस्य नहीं होना चाहिये.
  • समूह को अपना नेता योग्य/अच्छे /सक्रिय व्यक्ति को बनाना चाहिये जिससे कि सभी सदस्यों का लाभ सुनिश्चित हो सके. . यह ध्यान रखना चाहिये कि समूह के नेता द्वारा बेनामी ऋण न ले लिये जांय.
समूह अप्रोच
  • समूह के सभी सदस्य नेतृत्व संभालने लायक पर्याप्त सक्रिय होने चाहिये. नेता को एकता, अनुशासन को बढ़ावा देना चाहिये अदायगी में सहायता करनी चाहिये और साथियों  जानकारियां देनी चाहिये.  बैंक के लिये वह समूह के कामकाज का केंद्र बिंदु होगा.
  • समूह के आपसी हितों तथा सदस्यों की भूमिका तथा अपेक्षाओं पर चर्चा के लिये समूह की नियमित बैठक होनी चाहिये जिसमें सभी सदस्य उपस्थित रहें.
  • दलहन/फल/सब्जी उत्पादन या बुनाई जैसे विशेष काम के लिये समूहों का गांव/ब्लाक स्तर पर संघ बनाया जाय जिससे कि उत्पाद का विकास हो सके.    
  • समूह सुस्थापित होने के बाद मिलकर एक संघ बना सकते हैं जिससे एक वेल्यू चेन बनायी जा सके और खरीद,प्रोसेसिंग और  विपणन में बड़े पैमाने का लाभ लिया जा सके. 
संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) द्वारा बचत
  • समूह का गठन मूलत: ऋण के लिये किया जाता है अत: सदस्यों द्वारा बचत करना एच्छिक है और सदस्यों को बचत कने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये.
  • समूह यदि ऋण के साथ बचत भी करना चाहे तो उसे बैंक में एक बचत खाता खोलना चाहिये जो समूह की ओर से  कम से कम दो सदस्यों द्वारा संचालित हो.
  • समूह को दिये जाने वाले ऋण की मात्रा समूह की आवश्यकता के अनुसार होगी न कि उनके द्वारा की गयी बचत के आधार पर.  
संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) मॉडल

शाखाएं संयुक्त देयता समूह का वित्त पोषण दोनों में से किसी मॉडल के हिसाब से कर सकती हैं :
  • समूह के व्यक्तियों को वित्तपोषण
  • समूह के प्रत्येक व्यक्ति को एक अलग नियन ग्रीन कार/द दिया जायगा. वित्तपोषण करने वाली शाखा पैदा की जाने वाली फसल, उपलब्ध खेती की जमीन और उस व्यक्ति की ऋण क्षमता के आधार पर ऋण की आवश्यकता का आकलन करेगी.
  • सभी सदस्य संयुक्त रुप सी मिलकर एक इंटरसी दस्तावेज निष्पादित करे जिसके द्वारा समूह के सभी सदस्यों द्वारा लिये गये ऋणों के लिये प्रत्येक संयुक्त रूप से और अलग-अलग जिम्मेदर होंगे.
  • सभी सदस्यों में सृजित की जाने वाली व्यक्तिगत ऋण देयता के बारे में  आपसी समझौता और सहमति होगी. समूह में किसी व्यक्ति के निकलने या शामिल होने से नये दस्तावेज की आवश्यकता होगी  
  • समूह के रूप संयुक्त देयता समूह का वित्तपोषण
  • समूह को एक ऋण दिया जायगा जो समूह के सभी सदस्यों की सम्मिलित ऋण जरूरतों के बराबर होगा.
  • समूह की ऋण आवश्यकता समूह के सदस्यों के पास कुल मिलाकर उपलब्ध कृषियोग्य भूमि / की जाने वाली गतिविध के आधार पर तय की जायगी.
  • सभी सदस्य संयुक्त रूप से दस्तावेज निष्पादित करेंगे और ऋण की जिम्मेदारी सबकी मिलकर और अलग-अलग सबकी होगी.
  • सृजित की जाने वाली ऋण देयता में प्रत्येक सदस्य की ऋण देयता के बारे में आपसी सहमति सुनिश्चित होनी चाहिये. समूह के संगठन में किसी परिवर्तन से नये दस्तावेज निष्पादित करने होंगे.
  • ऋण के साथ साथ बचत करने वाले मूहों को हिसाब किताब रखना होगा.
  • कामकाज के पैरामीटर के आधार पर शाखा सदस्यों को श्रेणी में विभाजित कर सकेगी.
  • समूह की ऋण आवश्यकता की गणना सम्मिलित ऋण योजना और सदस्यों की व्यक्तिगत आवश्यकता के आधार पर की जायगी और इसे स्वयं सहायता समूह के अनुसार बचत से संबद्ध न किया जाय.
ऋण का उद्देश्य
  • समूह को दी गयी वित्तीय सहायतोक एसी लचीली सुवुधा होनी चाहिये जो सदसयों की उत्पादन, उपभोग, विपणन तथा अन्य उत्पादक उद्देश्यों को पूरा करती हो.
ऋण के प्रकार
  •  उद्देश्य और अवधि के अनुसार नकद ऋण, अल्पावधि ऋण, या मीयादी ऋण  स्वीकार किया जाय.
  • भारतीय रिजर्व बैंक के दिसानिर्देशों के अनुसार समूहों को माइक्रो ऋण प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण माना जायगा.
ऋण की सीमा
  • दोनों मॉडलों के अंतर्गत प्रत्येक सदस्य को अधिकतम रु. 50,000/- ऋण दिया जा सकता है.
ब्याज दर
  • कृषि ऋण पर लगने वाली ब्याज दर जेएलजी ऋण पर लगायी जायगी.
  • कृषि उधारकर्तों को मिलने वाला अनुदेस परिपत्र 7057 दिनांक 6.12.2004 द्वारा परिचालित तत्परता से भुगतान के लिये 0.50% का प्रोत्साहन जेएलजी को मिलेगा.
  • फसल ऋण के लिये इस समय 7% ब्याज लिया जायगा जिस पर 2% छूट भारत सरकार द्वारा दी जाती है. सरकार द्वारा ऋण के एक साल के अंदर भुगतान करने पर 1% तिरिक्त सहायता दी जायगी.
व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा
  • समूह के सदस्य जिनको ग्रीन कार्ड दिया गया है , यूनियन ग्रीन कार्ड के लिये लागू बीमा से कवर होते हैं.
फसल बीमा योजना
भारतीय कृषि बीमा कंपनी की राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना पट्टेदारों और बटाईदारों सहितत सभी किसानों को देश में अधिसूचित फसलों के लिये बीमा कवर उपलब्ध कराती है.

 


Friday, 3 November 2017

आपले सरकार, योजना दमदार

🚨आपले सरकार,योजना दमदार 🚨

🔵कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड सबलीकरण व स्वाभिमानी योजना 🔵

💥शेवटची मुदत 18 नोव्हेंबर 2017💥

अनुसूचित जाती व नवबौद्ध प्रवर्गातील व्यक्तींना शासनाकडून जमिनीची खरेदी
50 टक्के बिनव्याजी व 50 टक्के अनुदान स्वरूपात रक्कम

राज्यातील अनुसूचित जाती व नवबौद्ध प्रवर्गातील व्यक्तींना रोजगाराची संधी उपलब्ध व्हावी म्हणून भूमिहीन शेतमजूरांसाठी कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड स्वाभिमान व सबलीकरण योजना राबविण्यात येत आहे. या योजनेंतर्गत शासनाकडून जमीन खरेदी करून ती भूमिहीन अनुसूचित जाती प्रवर्गातील कुटुंबांच्या पती-पत्नीच्या नावे केली जाते. मात्र विधवा व परित्यक्त्या स्त्रियांच्या बाबतीत जमीन त्यांच्या नावे केली जाते.

या प्रवर्गातील दारिद्र्यरेषेखालील भूमिहीन शेतमजूर कुटूंबाला चार एकर कोरडवाहू जमीन किंवा दोन एकर बागायती जमीन उपलब्ध करून देण्यात येते. जमीन खरेदीसाठी येणाऱ्या खर्चापैकी 50 टक्के रक्कम बिनव्याजी कर्ज व 50 टक्के रक्कम अनुदान स्वरूपात देण्यात येते.

☀योजनेच्या अटी

योजनेच्या लाभासाठी लाभार्थ्याचे किमान वय 18 व कमाल वय 60 वर्षे निश्चित केले आहे.

लाभार्थी हा भूमिहीन दारिद्र्यरेषेखालील शेतमजूर असावा.

परित्यक्ता, विधवा स्त्री यांना योजनेतील लाभासाठी प्राधान्य देण्यात येते.

महसूल व वन विभागाने ज्यांना गायरान व सिलिंगच्या जमिनीचे वाटप केले आहे, त्या कुटुंबांना योजनेचा लाभ देण्यात येत नाही.

यापूर्वी लाभ दिलेल्या संबंधित कुटुंबाला कोणत्याही कारणास्तव जमीन अन्य कोणत्याही व्यक्तीला हस्तांतरीत करता येत नाही. तसेच विकता येत नाही.
या कुटुंबाला देण्यात येणारे कर्ज हे बिनव्याजी 10 वर्षे मुदतीसाठी असणार आहे.

कर्जफेडीची सुरूवात कर्ज मंजुरीनंतर दोन वर्षांनंतर सुरू होणार आहे.
कुटूंबाने विहीत मुदतीत कर्जाची परतफेड करणे आवश्यक आहे.

संबंधित लाभधारकाने जमीन स्वत: कसणे आवश्यक असून तसा करारनामा देणे बंधनकारक आहे.
जमीन खरेदी करताना प्रती एकरी तीन लाख रूपये एवढ्या कमाल मर्यादेपर्यंत चर्चेद्वारे खरेदी करण्याची मुभा जिल्हास्तरीय समितीस देण्यात आलेली आहे.

सन 2017-18 मध्ये अनुसूचित जाती व नवबौद्ध घटकातील भूमिहीन शेतमजुरांना जमीन उपलब्ध करून देण्याच्या दृष्टीने 18 नोव्हेंबर 2017 पर्यंत अर्ज मागविण्यात आले आहेत.

🔵अर्जासाठी लागणारी कागदपत्रे

अर्ज विहीत नमुन्यात पासपोर्ट फोटोसह भरावा.

अर्जदाराने अनुसूचित जाती या प्रवर्गातील असल्याबाबत जातीचे उपविभागीय अधिकारी यांनी दिलेले विहीत प्रमाणपत्र,
रहिवाशी दाखला,
रेशन कार्ड झेरॉक्स,
आधार कार्ड झेरॉक्स,
निवडणूक कार्ड प्रत,
भूमिहीन शेतमजूर असल्याबाबत तहसीलदार यांनी निर्गमित केलेला दाखला.

मागील वर्षाचा वार्षिक उत्पन्नाचा तहसीलदार यांचा दाखला.

वय 60 वर्षांखालील असल्याचा वयाचा दाखला किंवा पुरावा.

लाभार्थी दारिद्र्यरेषेखालील असल्याबाबत विहीत प्रमाणपत्र.

शेतजमीन पसंतीबाबत लाभार्थ्यांचा 100 रूपयांच्या स्टॅम्प पेपरवरील प्रतिज्ञापत्र.

योजनेच्या लाभासाठी अर्ज विहीत नमुन्यात 18 नोव्हेंबर 2017 पर्यंत संबंधित सहायक आयुक्त, समाज कल्याण कार्यालयात सादर करावा.