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अगर मैं चलता रहता राहों पर
तो मंजिल मिल भी सकती थी
कोशिशें करता रहता हर पल तो
ये मजबूत चट्टानें हिल भी सकती थीं,
हवाएं खिलाफ थीं मेरे तो क्या हुआ
तूफानों में किश्ती मेरी चल भी सकती थी
बहुत हमसफ़र मिले थे मुझे
कारवां आगे बढ़ाने को
हाथ एक का भी थामा होता तो
किस्मत बदल भी सकती थी।
आसमान की चाह में
ज़मीन छोड़ दी थी मैंने
उड़ान थोड़ी जान से भरी होती तो
हौसलों की आग सीने में जल भी सकती थी
वक़्त दौड़ रहा था मेरे आगे-आगे
साथ चलता तो मुसीबत निकल भी सकती थी
मगर शुक्रगुजार हूं रब का
कि अभी मेरे शरीर में जान बाकी है
खो चुका हूँ बहुत कुछ लेकिन
सब वापस पाने का अरमान अभी बाकी है
सफर जारी रखूँगा मैं, निशान अपने क़दमों के
मंजिल तक पहुँचाने को
मजबूत इरादे ही काफी हैं मेरे
बड़ी-बड़ी चट्टानों को हिलाने को
बाज ही निकलते हैं तूफानों में अकसर
पंछी मुड़ जाते हैं अपने आशियाने को
जरूरी नहीं की सहारा मिल ही जाए रास्तों में
सर पे जुनून मंजिल का काफी है दीवानों को
कदम जमीन पर और सिर आसमानों से ऊंचा है
दिखाना है अपना वजूद ज़माने को
चाल मिला रहा हूँ वक़्त से मैं आज-कल
अपने जीवन से हर दुःख तकलीफ मिटाने को
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