Saturday 4 November 2017

रेत पर......

रेत पर हर कदम की निशानी लिखो
इन लहरों की प्यासी रवानी लिखो
इस समंदर के संग-संग चलते हुए
मेरे शायर तुम मेरी कहानी लिखो

आरजू बन गई है ये ठंडी हवा
खींचकर ले चली है ये जाने कहां
हो रहे हैं दिल में अब अरमां जवां
ऐसे एहसास को तुम जवानी लिखो

साहिलों की तरह तुम मिले थे कहीं
मेरे आंसू की लहरें बहे थे वहीं
तुम भी हो ऐ मेरे दिल रेतीली जमीं
ऐसे मंजर को तुम जिंदगानी लिखो

इस साहिल के रेतों पर चलते हुए
मेरे शायर तुम मेरी कहानी लिखो।

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