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क्या आपको पता है...?
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धरती की कक्षा में स्थित एक उपग्रह प्रयोगशाला है जो इसलिए बनाया गया है ताकि वैज्ञानिक इसमें रह कर लंबे समय तक अंतरिक्ष में काम कर सकें। इसमें एक समय में छः वैज्ञानिक रह सकते हैं।
आइए आपको इंसान की बनाई इस अद्भुत चीज़ के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताते हैं.
🚀इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन इंसान द्वारा बनाई गई अब तक की सबसे महंगी चीज़ है, जिस पर कुल 160 अरब डॉलर का खर्चा आया है। इतनी रकम 11 लाख करोड़ रूपए से ज्यादा है जिससे 150 से ज्यादा ताजमहल बनाए जा सकते हैं।
🚀स्पेस स्टेशन 24 घंटे 27,600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से पृथ्वी के ईर्द-गिर्द चक्कर लगाता रहता है। इस तरह से यह हर 92 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है और एक दिन में पृथ्वी के साढ़े 15 चक्कर लगा लेता है।
🚀स्पेस स्टेशन पृथ्वी की कक्षा में 330 से 435 किलोमीटर की ऊँचाई पर रहता है। इतनी कम ऊँचाई की वजह से यह कई बार नंगी आंखों से भी दिख जाता है।
🚀इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को 20 नवंबर 1998 को लांच किया गया था, यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके हिस्सों को 136 उड़ानों के जरिए भेजा गया था, इसके हिस्सों को वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में ही जोड़ा।
🚀इंटरनेशन स्पेस स्टेशन को पहले साल 2011 तक अंतरिक्ष में रखने की बात कही गई थी पर एक करार के बाद यह तय किया गया कि इसका इस्तेमाल साल 2020 तक किया जाएगा।
🚀स्पेस स्टेशन का वज़न 4,19,455 किलोग्राम है। इस तरह से यह मानव द्वारा अंतरिक्ष में भेजी गई सबसे भारी वस्तु है।
🚀स्पेस स्टेशन की लंबाई 72.8 मीटर, चौड़ाई 108.5 मीटर और ऊँचाई 20 मीटर है। इसमें 6 बेडरूम से ज्यादा जगह रहने लायक है।
🚀स्पेस स्टेशन में 2 बाथरूम और एक जिम भी है। जिम में कसरत करते वैज्ञानिक अपने शरीर को फिट रखते है क्योंकि अंतरिक्ष में काफ़ी समय रहने के कारण उनके शरीर पर बूरा प्रभाव पड़ता है।
🚀इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अबतक 15 देशों के 200 से ज्यादा वैज्ञानिक जा चुके है। भारत की कल्पना चावला और सुनीता विलियमस भी इस पर खोज कार्य कर चुकी हैं।
🚀आपको शायद ही यह पता हो कि कल्पना चावला और उनके साथी यात्रियों की मौत जिस अंतरिक्ष यान के धरती पर उतरने समय विस्फोट के कारण हो गई थी वो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से ही वापिस लौट रहा था।
🚀इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर सफलतापूर्वक पत्तेदार सलाद भी उगाया जा चुका है। स्टेशन पर मौजूद वैज्ञानिकों ने इसे आधा खा लिया था और आधा सुरक्षित रख लिया था ताकि पृथ्वी पर लिजा के इसका वैज्ञानिक विश्लेषण किया जा सके.
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