Thursday 17 November 2016

मुझे लगता है

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आदरणीय प्रधानमंत्री जी का 500,1000के नोट बन्द करने का फैसला अचानक हम सब ने सुना और सब जगह खड़बड़ी सी मच गयी । जो लोग कालाधन के चंगुल में फंसे है,या उनको डर लग रहा है वो लगो पैसे को कुड़ादानी, या नदी में बहा रहे है। ये सबसे बुरी और चिंताजनक बात है। एक तरफ हमारे प्रधानमंत्री  सशक्त भारत का निर्माण करने मे जुड़े है। और धनवान लोग पैसा फेंक रहे है। अगर आपके पास इतना धन है ,और आप फेंकना चाहते है। तो जरा सोचो अपना ये धन किसी गरीब को या फिर छोटे सामजिक कार्य करनेवाले संस्था को दे दो। इसे नेकी भी होगी और आपका धन किसी की दुवा भी बन जाएगा।
इस बात पर मुझे कुछ पंक्ति या याद आयी-
"आज चौकट पर मेरे एक भिखारी आया।
मैंने करोडो होकर भी सिर्फ एक रोटी दे दी
जाते जाते वो मुझे करोड़ो की दुवा देकर चला गया"
पल भर समझ नही आया गरीब कौन था मैं या फिर वो जो चैकट पर आया था?

जरा सोचो दोस्तों , हम पढ़े लिखे है।

आवो हम सब मिलकर स्वच्छ और सशक्त भारत का निर्माण करते है।
एक सोच नयी,तरक्क़ी लेकर आये

कृषिकन्या
वटवृक्ष इंफोटेक फॉउंडेशन आष्टा

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